रविवार, अप्रैल 26, 2009

क्या यह सचमुच ही सच है...?



टोहरा व लौंगोवाल ने की थी दरबार साहिब पर सैन्य कार्रवाई की सिफारिश
Apr 26, 02:10 am
अमृतसर । श्री हरिमंदिर साहिब पर सैन्य कार्रवाई की सिफारिश एसजीपीसी के तत्कालीन अध्यक्ष जत्थेदार गुरचरण सिंह टोहरा व शिअद के अध्यक्ष संत हरचंद सिंह लौंगोवाल ने की थी। शिरोमणि अकाली दल अमृतसर पंच प्रधानी के सचिव बलदेव सिंह सिरसा ने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार को दिए ज्ञापन में यह आरोप लगाते हुए

मांग की है कि श्री हरिमंदिर साहिब व श्री अकाल तख्त साहिब पर हमला करवाने वाले पंथक नेताओं का संगत के सामने पर्दाफाश किया जाए। इस ज्ञापन में टोहरा व लौंगोवाल द्वारा लिखे गए पत्रों की कापियां भी संलग्न की गयी हैं।

ज्ञापन में लिखा है कि 22 फरवरी 1984 को जत्थेदार टोहरा ने और 25 अप्रैल 1984 को संत हरचंद सिंह लौंगोवाल ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के तत्कालीन खासमखास आरके धवन को एक पत्र लिख कर हरिमंदिर साहिब पर भारतीय सेना के हमले की सिफारिश की थी।

ज्ञापन में कहा गया है कि कांग्रेस पार्टी सिखों का विश्वासघात करने वाली व सिखों का कत्ल करने वाली पार्टी है, पर जिन नेताओं को पंथक नेता कहा जाता है, उनका राजनीतिक चरित्र क्या है इस पर पांच सिंह साहिबान अपनी बेबाक राय दें। पत्र की एक कापी तख्त श्री आनंदपुर साहिब के जत्थेदार ज्ञानी तरलोचन सिंह, तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी बलवंत सिंह, तख्त श्री पटना साहिब के जत्थेदार ज्ञानी इकबाल सिंह व तख्त श्री हजूर साहिब के जत्थेदार ज्ञानी कुलवंत सिंह को भी भेजी गयी है।

1 टिप्पणी:

Dr.Dayaram Aalok ने कहा…

सन १९८४ की घटना के रहस्य अब खोलने का अवसर आया है। उस समय सिख चरमपंथियों से पूरा देश हिल सा गया था।चरम पंथी वारदात करने के बाद स्वर्णमंदिर में शरण लेते थे।एक अति पवित्र जगह का अतिवादी कार्यों के लिये उपयोग किया जाना देश की संप्रभुता को चुनौति सदृश्य ही था। लोंगोवाल और टोहरा सिख पंथ के अनुभवी और प्रभावशाली नेता रहे है। उन्होने अगर धवन को लिखकर स्वर्ण मंदिर पर सैन्य कार्रवाई की सिफ़ारिश की होगी तो यह उसी हालत में की होगी कि समस्या का तुरंत हल जरूरी था और उनकी निगाह में सैन्य कार्यवाई के अलावा कोइ विकल्प मौजूद नहीं था।